अभिशाप !!

स्त्रियों की सुन्दरता क्या अभिशाप है ?
स्त्रियों की सुन्दरता क्या अभिशाप है?
अगर ऐसा है ,तो सभी को सुन्दरता कि ही जरूरत क्यों!
क्या उनका हक नहीं जीने का ,
सभी को जरूरत भी उसी की ,खासकर स्त्रियों को ही , जिनमे शामिल सास को बहू सुन्दर चाहिए । पति को पत्नी , माँ को बेटी ।
क्यों सभी को दिखावे की जरूरत है ।
शाय़द आज ये दिखावा जो सभी के जीवन में खु़शियों की रुकावटें बना हुआ है।
ये तो प्रकृति के बनाये हुए पुतले हैं ।
कोई खुद की बनाई रचना नहीं अगर खुद बनाए ग ए
पुतले होते तो कभी किसी को शिकायत नहीं होती! सभी सौन्दर्य से परे होते ।
और जीना भी उन्हीं का मुश्किल, क्या करे ऐसी स्त्रियाँ ।समाज में ऐसी स्त्रियों को पैदा होना ही नहीं चाहिए । नहीं होना चाहिए उनमें कोई अच्छा काम करने का हुनर।
नहीं होना चाहिए उनमें कोई खाशियत,
समाज को कुछ देने की,
नहीं है।
आज़ादी किसी से बात करने की!
नहीं जा सकती बाहर ,किसी शख्सियत को बटोरने के लिए ।
क्या अपराध किया है। उस स्त्री ने जो इतनी बन्दिशें उस सौन्दर्य पर ।
क्यों उसकी कला और हुनर को दफ़नाना चहाते है कब्र में ।
घर से बहार तक निगाहें खराब ।
घर से बहार समाज की निगाहें खराब ।
घर से ऑफिस तक निगाहें खराब ।
कहाँ कहाँ रोकेगी निगाहों को ।
बिना निगाहों के तो दुनियाँ भी अन्धी हो जाएगी !!
रोको तो बस अपनी सोच की सडन को?
जो दुनियाँ में बेवजह सडे़ हुए सवाल खड़े करती है। जिसकी बजह से दुनियाँ में सवाल पैदा होते है!
अगर सोच खुशबू देगी तो सवाल ही पैदा नहीं होते गिरे हुए।
आदमी को आदमी बना रहना चाहिये ।
एक दूसरे के लिये…

~शिखा सिंह
उत्तर प्रदेश